कपास की खेती करने से किसानो को रखना चाहिए इन बातों का ध्यान!

कपास की खेती करने से किसानो को रखना चाहिए इन बातों का ध्यान!

इंटरनेट डेस्क। कपास की खेती नगदी फसल के रूप में होती है. जिससे किसानो को अच्छा फायदा मिलता है क्योंकि लम्बे रेशो वाली कपास की खेती सर्वश्रेष्ठ होती है जिनसे किसानो को ज्यादा मुनाफा मिलता है इसका पैदावार तटीय मैदानों में अधिक मात्रा में किया जाता है क्योंकि कपास की खेती कच्चा माल का उपयोग अधिक किया जाता हैखासतौर पर कपास की खेती को सफेद सोना के नाम से भी जान जाता है लेकिन कपास का इस्तेमाल वस्त्र और ऊनी के कपड़े बनाने के काम में लिया जाता है और इनके बीजो का इस्तेमाल तेल निकलने में किया जाता है और बचे हुए छिलके गायो को खिलाया जाता है।

कपास की खेती काली मिट्टी की गहरी जुताई की जाती है जिससे मिटटी का पलटाव हो जाता है जिनसे बिना उगाये जाने वाले पेड़ -पौधे को नष्ट किया जाता हैक्योंकि काली मिटटी में इसका अच्छा निकास हो जाता है जिससे पानी की कम आवश्यकता होती है अधिकतर कपास की खेती खरीफ की फसल होती है जो इन फसलों लम्बे समय तक रखा जाता है इसलिए कपास को उगाने के बाद पॉलिथन को मिटटी में गहरी मात्रा में डालने से ऑक्सीजिव को खाद डालकर नष्ट किया जाता है क्योंकि यह फसलों को नुकसान नहीं पहुँचा पते है

कपास की खेती में खरपतवार पर नियंत्रण

कपास की खेती में बिना उगाये जाने पेड़ -पोधो का ध्यान रखना जरूरी होता है क्योंकि इन पोधो में कई प्रकार के कीड़े मकोड़े होते है जो दूसरी फसलों को नुकसान पहुँचाते है इसलिए खरपतवार पर ध्यान देना जरूरी होता है कपास की बीज उगने के बाद निराई – गुड़ाई की जाती है जिससे पेड़ बढ़ने में रुकावट नहीं हो पाती तथा पौधे अच्छे से बढ़ाव कर पाते है |कपास की फसल के लिए खरपतवार पेड़ -पोधो के लिए नुकसान दायक होते है बिना उगाए जाने वाले पेड़ -पौधे फसलों के लिए भूमि में निहित पोषक तत्व एवं जमी का एक बड़ा हिस्सा शोषित कर लेते हैंजो फसलों कमजोर व बढ़ने की गति धीमी पद जाती है

कपास में कौन सा खाद डालें

कपास की खेती को तैयार करने के लिए खाद का उपयोग किया जाता हैक्योंकि फसलों को नुकसान होने से बचाता है कपास की फसलो में उर्वरको का खाद डाला जाता हैजो फसलों को सुरक्षित रखने में मदद करती है और उनका अच्छा विकास हो पाता है . खाद एवं उर्वरको का प्रयोग मृदा परीक्षण के आधार पर करना चाहिए यदि मृदा में कार्बनिक तत्वों की कमी हो तो उनकी पूर्ति करे. खेत तैयारी के समय आखिरी जुताई में कुछ मात्रा गोबर की खाद सड़ी खाद में मिलाकर प्रयोग करना है

कपास की पौधों में लगाने वाले रोग

कपास की पेड़ की नयी पत्तियों में कीटाणु पनपते रहते है जिससे कीड़े पत्तिओ की निचली सतह के शिराओ छिद्र करके और रस चूसने का काम करते है इसलिए कपास की पत्तियों पर अनेक तरह के कीड़े उत्पन हो जाते हैऔर यह पत्तियों में लार्वा छोड़ते हैजो की पत्तियों पर चिपचिपा प्रदार्थ तत्व होता है जिससे पत्तियों में पत्ता मरोड़ नमक रोग हो जाता है क्योंकि फसलों के दवाईया का छिड़काव देने से रोग से बचाव किया जा सकता है |

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