• November 21, 2022

मटर की खेती करने से पहले इन बातों का जरूर रखें ध्यान

मटर की खेती करने से पहले इन बातों का जरूर रखें ध्यान

इंटरनेट डेस्क। मटर एक दलहनी फसलों में से एक है यह कम समय में अधिक उपज देने वाली फसल होते है जो इनकी खेती एक नकदी फसल के रूप में उगाई जाती है जिससे किसानों को अधिक मुनाफा होता है क्योंकि मटर की खेती मुख्य रूप से बारिश के मौसम में अधिक की जाती है और खरीफ की कटाई के बाद खेतो में गोबर का सड़ा हुआ खाध डालकर खेतो की गहरी जुताई मिटटी पलटने वाले हल से एक या दो बार गहरी जुताई की जाती है और फिर खेतो में गहरी सिचांई करने पर छोड़ दिया जाता है और कुछ दिनों बाद जुताई करके मिटटी को समतल किया जाता है जिससे मिटटी का गीलापन बना रहता है जिससे अंकुरण आसानी से बाहर निकल आते है

मटर के बीज की रोपाई का सही समय और तरीका

मटर की खेती हमेशा अक्टूबर या नवंबर के महीने में उगाये जाते हैक्योंकि मटर के बीजो में बुवाई से पहले मटर के बीजो को रात भर पानी में भिगोया जाता है जिससे अंकुरण आसानी से बाहर निकल आते है लेकिन मटर के बीजो की रोपाई बीजो के रूप में की जाती हैऔर मटर की बुवाई हैक्टेयर और डिबलिंग के द्वारा की जाती है इनकी खेती करने के लिए एक विधि का इस्तेमाल सबसे उपयुक्त माना जाता है क्योंकि इनकी खेती हमेशा लाइनों में फिट की दुरी रखकर तैयार किया जाता है जिससे पानी का निकास अच्छा हो जाती है इनसे पोधो की उपज में कमी नहीं आती

मटर की खेती में खरपतवार
मटर की खेती में बिना उगाये जाने पेड़ -पौधे बारिश के मौसम में काफी दिखाई देते है जैसे खेत में चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार, जैसे-बथुआ, सेंजी, कृष्णनील, सतपती आदि चीजे बिना उगाये उग जाते है लेकिन खरपतवार फसल के निमित्त पोषक तत्वों व जल को ग्रहण करने से पेड़ -पौधे काफी कमजोर हो जाते हैजिससे फसल की उपज में भारी नुकसान पहुँचाता है क्योंकि खेतों में बिना उगाये जाने वाले पेड़ -पौधे फसलों को बढ़ने की अवस्था से पहले ही फसलों को रोक देते है जो खेतो में खरपतवार को नियंत्रण करने के लिए खेतो में हेक्टेयर की दर से दवाई को घोलकर बुआई के एक दिन बाद खेतो में छिड़काव किया जाता है जिससे खरपतवार काफी हद तक नियंत्रण हो जाते है

मटर के पौधों की सिंचाई
मटर की खेती में बिजाई से पहले सिंचाई करना बहुत जरुरी होता है क्योंकि मटर की खेती में गीलापन होने से अंकुरण अच्छे से निकल जाते है जिससे बिजाई के बाद दो या तीन सिचांई की आवश्यकता होती है मटर की खेती में सबसे पहली सिंचाई फूल निकलने से पहले की जाती है और दूसरी सिचांई फलिया पकने के बाद की जाती है क्योंकि खेतो में सिचांई करने से फसल की उपज काफी अच्छी होती है

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