जानें मधुमक्खी पालन पोषण के तरीके

जानें मधुमक्खी पालन पोषण के तरीके

इंटरनेट डेस्क। मधुमक्खी का पालन पोषण रबी की फसल में अधिक किया जाता है क्योंकि मधुमक्खी संबंधी फसल उगाई जाती है जैसे की सरसों, सूरजमुखी, धनिया आदि अनेक फसलें उगाई जाती हैं क्योंकि यह फसल मधुमक्खी के लिए फायदेमंद होते है जो आसानी से शहद को एकत्रित करने मदद मिलती है शहद को एकत्रित करने के लिए मधुमक्खी पालन एक खेती -बाड़ी या बागवानी की तरह कृषि की जाती है खासतौर पर मानव जाती को एपिकल्चर का पालन का बाड़ा योगदान बन चूका है जिनसे किसानो को अधिक मुनाफा मिलता है इनका पालन पोषण एक अहम हिस्सा बन गया है जो इनका पालन पोषण करने के लिए शहद और मोम प्राप्त किया जाता है

मधुमक्खी पालन के तरीके

एपिकलचर का पालन का व्यपार बहुत पहले से होता आ रहा है क्योंकि इनका पालन पोषण कई तरीको से किया जाता है जैसे की कई लोग लकड़ी के संदूक, मिट्टी के घड़े, पेड़ के तने के खोखले में, दीवारों की दरारों में मधुमक्खियों को पालते थे और शहद प्राप्त करने के लिए छत्ते के नीचे धुँआ छोड़ दी जाती है और शहद के छत्ते को काटकर शहद को प्राप्त किया जाता हैक्योंकि मधुमक्खी के शहद को अधितर लोग बार -बार बीमारियों से निपटने के लिए शहद का इस्तेमाल दवाई के तौर पर किया जाता है

मधुमक्खी के छत्ते में रानी मधुमक्खी एवं सौ नर और शेष मादा मधुमक्खी पाए जाती है जो शहद के छत्ते में अलग -अलग कार्य करने का काम करती है मधुमक्खी के छत्ते में रानी मधुमक्खी है जो अंडे देने के कार्य करती है क्योंकि रानी का जीवन समय दो या तीन सालो का होता है क्योंकि यह दो प्रकार के पूर्ण अण्डे देती है|इन अंडो में काफी नर को उन्नत होती है और मादा मधुमक्खी मोम बनाने का काम करती हैक्योंकि मादा मधुमक्खी छत्ते में खुशबु बड़ाने का काम करती है जो इस खुशबु को शांत करने के लिए रानी मधुमक्खी छत्ते पर और मक्खी को एकत्रित कर लेती है

अधिकतर मधुमक्खी के छत्ते में छोटी मक्खी एपिस सेरेना के नाम से जाना जाता है जो इन मक्खिओ को कच्चे घरो में रहना बुहत पसंद होता है क्योंकि इस प्रजाति की मधुमक्खियां इंसान पर समूह में अटैक नहीं कर पाती है।और ये अपना पालन पोषण आसानी से कर लेती है क्योंकि मधुमक्खी के साथ और अनेक मक्खी होती है जो उनका शहद का स्वाद कड़वाहट होता है क्योंकि इसका इस्तेमाल दवाइयों के तोर पर काम में लिया जाता है एपिस फ़्लोरिया मधुमक्खी यह आकर में सबसे छोटी होती है और यह जगलो में और छोटे -छोटे पेड़ पोधो में रहना पसंद करती है क्योंकि इस प्रजाति की मधुमक्खी एक जगह नहीं रूकती है। इस वजह से इसका पालन संभव नहीं है। एपिस डॉर्सेटा- एपिस फ्लोरिया की तुलना में इसका आकार काफी बढ़ा होता है। यह भी जंगलों में पाई जाती है। यह इंसानों पर झुंड में अटैक करती है। इसलिए इसका पालन संभव नहीं है।

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