• February 21, 2022

मेरे सपनों का देश

मेरे सपनों का देश

सुंदर सुप्रभात सभी का ऐसा जग का पहरा हो।
सूरज की सुशील किरण से जगत का सवेरा हो।।

आंगन कुटिया कोयल गूजे अपनों का बसेरा हो।
सत सजनों की शिक्षा मिले ऐसा सच्चा डेरा हो।।

ऊंच-नीच का भेद मिटा के इंसानों का मेला हो।
वसुधैव कुटुंबकम की शिक्षा वाला चेला हो।

हारजीत से निर्भय होकर जीवन सबका खेला हो।
सुख समृद्धि हो सृष्टि की ऐसी अलिफ़लैला हो।।

चिड़िया चूगे दाना पानी हर बसंत निराली हो।
हरियाली खेतों में बिखरे किसानी खुशहाली हो।।

हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सबका एक ही गैला हो।
मन मस्तिक में मजहब यही पुकारदे तो रेला हो।

रचनाकार
आशाराम मीणा
सहायक प्रबंधक भारतीय स्टेट बैंक कोटा राजस्थान।

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