• November 19, 2022

बाजरा के लिए खेत की तैयारी करे ये उपाय

बाजरा के लिए खेत की तैयारी करे ये उपाय

किसान ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए बाजरे की खेती की जाती है क्योंकि बाजरे की खेती खरीफ फसल के नाम से जाना जाता है इसलिए खेती तैयार करने के लिए सबसे पहले खेतो में गाय का गोबर सड़ा हुआ खाद डालकर छोड़ दिया जाता है और कुछ दिनों बाद सिचांई की जाती है क्योंकि किसान अच्छी कमाई के लिए खेतो में मिटटी पलटने ने वाले हल से दो या तीन बार खेतो की गहरी जुताई की जाती है जिसे मिटटी का पलटाव हो जाता है और मिटटी भुरभुरी हो जाती है क्योंकि भुरभरी मिटटी में बाजरा बुवाई में आसान हो जाता है अगर मिटटी में किट या लट का प्रभाव हो तो हेक्टेयर की दर से फॉस्फोरस का छिड़काव अंतिम जुताई से पहले जो फसलों में कर दिया जाता है

 

बाजरे की फसल के लिए उपयुक्त जलवायु
बाजरे की खेती गर्मी के मौसम में अधिक उगाया जाता है क्योंकि यह फसल बारिस के मौसम में आधीक उपज होती है इसलिए इस खेती में बहुत कम सिंचाई की आवश्यकता होती है | क्योकि इसकी पूरी फसल बारिश के मौसम पर निर्भर होती है, जो की बाजरे की फसल दोमट मिटटी में उगाया जाता है लेकिन आजकल हर मिटटी में बाजरे की खेती की जाती है क्योंकि इस फसल में पानी का भराव अधिक होने से फसलों को काफी नुकसान होता है जिसका प्रभाव पैदावार पर पड़ता है |

फसलों में दीमक
बाजरे की फसल में अनेक प्रकार के किट पाए जाते है जैसे की तना मक्खी दीमक ,और सफेद किट जैसे कीटाणु होते है जो फसल को नुकसान पहुंचाने का कार्य करता है बाजरे की फसल में तना मक्खी ये किट फसल को बढ़ने से रोक देती है क्योंकि यह किट जैसे पेड़ बड़े होने लगते है उन्हें काट दिया जाता है और सफेद लट मिटटी के निचली परत में पाई जाने वाले सफेद किट है और ये किट फसलों के जड़ो को काटकर छोड़ दिया जाता है और धीरे -धीरे सुखकर ख़राब हो जाती है इन कीटो को हटाने के लिए हेक्टेयर से फसलों में दवाई का छिड़काव दिया जाता है

बाजरे की खेती तैयार करने के लिए खरपतवार अधिक होते है. बाजरे की फसलों में खरपतवार बारिस के मौसम में अधिक दिखाई देते है लेकिन बाजरे की फसलों में बिना उगाये जाने वाले पेड़ पौधे अधिक पाए जाते है क्योंकि खरपतवार में कई प्रकार कीड़े -मकोड़े होते है जो फसलों को नुकसान पहुंचाने का कार्य करता है खरपतवार को हटाने के लिए निराई गुड़ाई की जाती है

रोग प्रबंधन
बाजरे की फसलो में ये रोग अधिक होते है जैसे हरी बाली रोग या डाउनी मिल्ड्यू कवक रोग है .जो फसलों में फंफूदी यह फफूंदी जनक रोग अधिक होता है जो फसलों के अकुंरण के काल और पोधो के बढ़ने के समय होता है .इस रोग लगने से पेड़ -पौधे की पत्तिया पीली पड़ने लगती है और पेड़ -पौधे को बढ़ने से रोक दिया जाता है क्योंकि ये किट पौधों की निचली पत्तियों पर सफेद चूर्णनुमा और फफूदी के रूप में दिखाई देता है और जब इस रोग का प्रकोप बाली बनने की अवस्था में होता है तो बालियों पर दानों के स्थान पर छोटी-छोटी हरी पत्तियां उग जाती हैं.

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