- December 3, 2022
तीतर पालन के लिए लेना होगा लाइसेंस! जानें इसके बारे में…
तीतर ग्रामीण व जगंलो में अधिक दिखाई देने वाला एक पक्षी है जो की विलुप्त जातियों में गिना जाता है इसे बटेर भी कहा जाता है पक्षी की उड़ान काफी कम होती है क्योंकि तीतर पहाड़ी क्षेत्रों में बहुत कम रहना पसंद करते है इसलिए ये पक्षी हमेशा नीची उड़ान भरते है और पेड़ो की टहनियों में घोसला नहीं बल्कि ये पक्षी जमीन पर अपना घोसला बनाना पसंद करते हैऐसा कहा जाता है की कभी भी सपने में तीतर को देखना या बोलना अशुभ माना जाता है क्योंकि ये पक्षी शुभ और अशुभ के बारे में सकेंत देता है आजकल घरो के आसपास कई प्रकार के पशु -पक्षी दिखाई देते है जो हमारे शगुन और अशगुन के बारे में सकेंत देते है लेकिन इसकी बातो को नजर अंदाज करने की वजह से कई लोग अशुभ घटनाओ शिकार हो जाते हैबटेर की प्रजाति विलुप्त होती जा रही है और फिलहाल इनकी संख्या में लगातार कमी आ रही है.
तीतर पालन के लिए लेना होगा लाइसेंस
बटेर एक वन्य पक्षी है जो कई लोग बटेर का मॉस बड़े जोश से खाते है तीतर के मॉस स्वाद में काफी स्वादिष्ट होते है जो बीमारी में अधिक सेवन किया जाता है जो बटेर की प्रजाति लगातार विलुप्त होती जा रही है ;इसलिए सरकार पक्षिओ पर प्रतिरोध लगा रहे है आजकल बटेर पालन करने पर लाइसेंस रखना जरूरी होता है क्यों ज्यादातर गांवो में सबसे ज्यादा किसान बटेर पालन का रोजगार अपनाते है ऐसे रोजगार के बारे में बहुत कम लोगो की जानकारी होती है की ग्रामीण क्षेत्रों में और जगंलो में ऐसे पक्षी है जिन्हे पोल्ट्री फार्मिंग मांस तथा अंडो की प्राप्ति के लिए कुक्कुट का पालन किया जाता है जिससे किसान उन्हें बेचकर ज्यादा मुनाफा कमाते है क्योंकि बटेर एक वर्ष में 300 अंडो की योग्यता रखती है इसलिए इन्हे तीतर या बटेर भी कहा जाता है
ये पक्षी 45 से 50 के लगभग अंडे देते
आजकल किसान बटेर का पालन करके ज्यादा मुनाफा कमाते हैये पक्षी जन्म के 6 या 7 सप्ताह में ही अंडे देना शुरू कर देते है जिनसे कम समय पर ही रोजगार किया जाता है क्योंकि बटेर के रोजगार पर बढ़ावा करने के लिए किसानो को धन सबंधी के तौर पर काफी सहायता मिलती है जिससे किसान तीतर की सख्या में काफी वृद्धि करते आ रहे है जिससे किसानो को ज्यादा फायदा मिलता है
भोजन और जगह की आवश्यकता कम
किसान इसलिए बटेर का रोजगार चलते है क्योंकि तीतर का पालन पोषण करने के लिए कम खाना और जगहों की कम आवश्यकता होती हैजो की ये पक्षी छोटे आकार के होते है इसलिए कम वजन और कम जगहे की कम जरूरत होती है इसलिए चूजे की रोजगार काफी कम होती हैलेकिन अधिक लोग होते है जो सिर्फ चार और पांच तीतर का पालकर अपना व्यापर शुरू किया जा सकता है और बाजारों में बटेर का मॉस अच्छे दाम पर बेचकर पैसा हासिल कर सकते हैं.
पोषक तत्वों से भरपूर
बटेर के अंडे थोड़े रंगीन होते है इनके अंडो में काफी प्रोटीन और वसा प्रचर मात्रा में पाए जाते हैजो अनेक तरह की बीमारी में फायदेमंद होते है क्योंकि बटेर के अंडे ग्राम जर्दी में 15 से 23 मिली ग्राम कोलेस्ट्राल में पाया जाता है.इसलिए कई बीमारियों में इसके अंडे का सेवन की सलाह देते है
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