• October 12, 2023

क्या राजस्थान का टिकट बंटवारा वसुंधरा राजे के लिए वाकई झटका है? क्यों मचा है बवाल

क्या राजस्थान का टिकट बंटवारा वसुंधरा राजे के लिए वाकई झटका है? क्यों मचा है बवाल

चुनाव आयोग ने 9 अक्टूबर को पांच राज्यों के चुनाव कार्यक्रम का ऐलान किया था. चुनाव आयोग ने राजस्थान में एक फेज में मतदान कराने का ऐलान किया था. बड़ी संख्या में शादी-विवाह के कार्यक्रम को देखते हुए आयोग ने मतदान की तारीख में बदलाव कर दिया है और अब वोटिंग 23 नवंबर की जगह 25 नवंबर को होगी. चुनाव आयोग की ओर से मतदान की तारीखों का ऐलान किए जाने के कुछ ही घंटे बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राजस्थान चुनाव के लिए 41 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी थी.

बीजेपी की इस सूची में जिन 41 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया गया है, उनमें 31 नए चेहरे हैं. पार्टी ने सात सांसदों को भी टिकट दिया है जिनमें महारानी दीया कुमारी, राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के नाम भी शामिल हैं. वहीं, टिकट की आस लगाए पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कई समर्थकों को निराशा हाथ लगी है. ऐसे नेताओं को भी जिनका टिकट पक्का माना जा रहा था. बीजेपी की पहली सूची में जिन नेताओं के टिकट कटे हैं, उनमें दो बार की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थकों की तादाद अधिक बताई जा रही है. इसे लेकर राजस्थान की सियासत में बवाल मच गया है. टिकट कटने से नाराज आधा दर्जन से अधिक नेता या उनके समर्थक खुलकर विरोध में उतर आए हैं.

ये सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि बीजेपी पहले ही ये ऐलान कर चुकी है कि पार्टी सूबे में मुख्यमंत्री पद के लिए किसी को चेहरा बनाए बिना मैदान में उतरेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद भी मंच से ये ऐलान कर चुके हैं कि राजस्थान चुनाव में कमल निशान हमारा नेता होगा. सूबे की सियासत में 1998 के बाद ये पहला मौका है जब बीजेपी बिना किसी चेहरे के सेंट्रल लीडरशिप के चेहरे पर चुनाव मैदान में उतर रही है.

चर्चा तो यहां तक रही कि वसुंधरा की प्रेशर पॉलिटिक्स वाली इमेज के कारण पार्टी नेतृत्व ने अब सूबे की सियासत में उनसे आगे देखने का मन बना लिया है. दीया कुमारी की दिल्ली में जिस तरह से धाक बढ़ी, राजस्थान में धमक बढ़ी, कहा ये भी जाने लगा कि महारानी का विकल्प महारानी हो सकती हैं.

इन कयासों को पार्टी के पोस्टर्स से गायब वसुंधरा की तस्वीर, धुर विरोधी सतीश पुनिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद और हवा मिल गई. चुनावी साल में बीजेपी ने प्रदेश अध्यक्ष बदला और पोस्टर्स पर वसुंधरा की वापसी भी हुई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के कार्यक्रमों में वसुंधरा को मंच पर जगह भी मिलने लगी लेकिन पार्टी ने चुनाव में उनके चेहरे को आगे कर उतरने से परहेज किया. नेतृत्व को लेकर चर्चा शुरू हुई तो वसुंधरा ने परिवर्तन यात्राओं से भी दूरी बना ली. जयपुर पहुंचे बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और अमित शाह ने वसुंधरा के साथ अलग से बैठक की.

वसुंधरा के साथ नड्डा-शाह की बैठक को महारानी की नाराजगी दूर करने की कोशिश के रूप में भी देखा गया और इसके बाद वह एक्टिव मोड में भी नजर आईं. लेकिन अब बीजेपी की पहली सूची में कई समर्थकों के टिकट कट जाने के बाद कहा जा रहा है कि वसुंधरा नाराज हैं. हालांकि, वसुंधरा ने सार्वजनिक रूप से इसे लेकर कुछ नहीं कहा है, ना नाराजगी ही जाहिर की है. बीजेपी की पहली सूची आने के बाद वसुंधरा राजे ने उन नेताओं को बधाई जरूर दी थी जिनके इस सूची में नाम हैं.

 

 

 

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