- November 20, 2023
सागर किनारे छठ महापर्व धुम धाम से मनाया
पूर्वांचल विकास सेवा समिति के अध्यक्ष लक्षमेश कुमार सिंह ने बताया छठ पूजा का तीसरा दिन सबसे महत्वपूर्ण माना जाता जाता है। इस दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसे संध्या अर्घ्य या पहला अर्घ्य के नाम से जानते हैं। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ का प्रसाद बनाया जाता है। इसी दिन ठेकुआ बनाएं जाते हैं।
इसके अलावा चावल के लड्डू भी बनाए जाते हैं। पूरी तैयारी करने के साथ आम के समय बांस के सूप और टोकरी को तैयार किया जाता है। इसमें चावल, गन्ना, केला, ठेकुआ, ताजे फल, सूखे मेवे, मिठाई, गुड़, नारियल, घी, धान, नींबू, इलायची, हरी अदरक आदि रखी जाती है। फिर इसे लेकर गांव, नगर के नदी, तालाब के किनारे इकट्ठे होकर सामूहिक रूप से सिर में ये सूप रखकर पानी के अंदर जाते हैं और भगवान सूर्य का नाम लेते हुए उन्हें अर्घ्य दिया जाता है।
चौथा दिन छठ पर्व का अंतिम दिन होता है। इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और इस महाव्रत का पारण किया जाता है। इस साल 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इस दिन सूर्योदय 06 बजकर 47 मिनट पर होगा।
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