• November 21, 2023

सूर्योदय के साथ जल देकर छठ पूजा का हुआ समापन

सूर्योदय के साथ जल देकर छठ पूजा का हुआ समापन

छठ पूजा का आखिरी दिन पुर्वांचल विकास सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष लक्षमेश कुमार सिंह ने बताया कि चौथा दिन यानी सप्तमी तिथि छठ महापर्व का अंतिम दिन होता है। इस दिन प्रातः काल उगते सूर्य को जल दिया जाता है। इसी के साथ छठ पर्व का समापन होता है। छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। इसके बाद दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन को ऊषा अर्घ्य के नाम से जाना जाता है। छठ का पर्व बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश और दुनिया में जहां भी पुर्वांचल निवासी रहते हैं छठ को में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। व्रत संतान की लंबी उम्र और उनके खुशहाल जीवन के लिए रखा जाता है !

उषा अर्घ्य की विधि
इस दिन सूर्य देव को अर्घ्य देते समय अपना चेहरा पूर्व दिशा की ओर ही रखें।
अर्घ्य देने के लिए हमेशा तांबे के पात्र का ही प्रयोग करें। सूर्य देव को जल चढ़ाते देते समय जल के पात्र को हमेशा दोनों हाथों से पकड़े। सूर्य को अर्घ्य देते समय पानी की धार पर पड़ रही किरणों को देखना बहुत ही शुभ माना जाता है। अर्घ्य देते समय पात्र में अक्षत और लाल रंग का फूल जरूर डालें।

उषा अर्घ्य का महत्व

चार दिवसीय छठ पूजा का समापन उषा अर्घ्य होता है। इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ के व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन व्रत रखने वाले लोग सूर्योदय से पहले नदी के घाट पर पहुंचकर उदित होते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इसके बाद सूर्य देव और छठ माता से संतान के सुखी जीवन और परिवार की सुख-शांति की कामना करते हैं।

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