- September 8, 2022
श्राद्ध पक्ष में कौए को भोजन कराना क्यों माना जाता है जरूरी!

इंटरनेट डेस्क। हिन्दू धर्म में श्राद्धपक्ष का बहुत महत्व है ये पितृपक्ष की पूर्णिमा से लेकर अमावस्या तक रहते है , धर्मशास्त्रों के अनुसार मान्यता है की इन्ही 16 दिनों में इंसान की मृत्यु होती है शरद पक्ष वर्षाकाल के बाद शुरू होते है। इन् 16 दिनों के श्राद्ध पक्ष में लोग अपने पितरो को स्वादिष्ट पकवानो का भोग लगाते है। और अपने पितरो क याद करते है। मान्यता है की ऐसा करने से पितरो का आशीर्वाद मिलता है। इन् श्राद्ध पक्ष में कौओं का बहुत महत्व माना गया है श्राद्धपक्ष में कौओं को पितरों का प्रतीक मानते हुए उन्हें आमंत्रित कर उन्हें श्राद्ध का भोजन खिलाया जाता है। और मान्यता है की कौए के भोजन ग्रहण करले तो पितरो का खुश होना माना जाता है आज हम बता करेंगे श्राद्धपक्ष में कौए को भोजन कराने का क्या महत्व आइये जानते है।
पौराणिक कथा :-
श्राद्ध पक्ष में कौए को भोजन कराने की कथा माता सीता से जुडी है। कौओ को पितरो का प्रतीक माना है आमंत्रित कर उन्हें श्राद्ध का भोजन कराया जाता मान्यता है की कौए को देवपुत्र माना गया है।उल्लेख है कि स्वर्ग के स्वामी इन्द्रदेव के पुत्र जयंत ने ही सबसे पहले कौए का रूप आश्रयण किया था। माना जाता है की त्रेता युग में जयंत ने कौए का रूप करने के बाद माता सीता के पैर में चोंच मारकर उनको कष्ट पहुंचाया जिसके बाद भगवान श्रीराम उस कौए पर क्रोधित होकर तिनके से उसकी एक आंख पर वार किया,जिसके कारण कौए का रूप धारण किए हुए जयंत की एक आंख क्षतिग्रस्त हो गई।
पश्चाताप होने पर जयंत ने अपने अपराध की भगवान श्रीराम से माफ़ी मांगी । तब भगवान राम ने क्षमा करते हुए श्राद्धपक्ष में कौओ को कराया गया पितरों को मिलेगा ऐसा वरदान भी दिया । तभी कौओ को पितरो का प्रतीक माना जाता है , और अपने पितरो का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए लोग कौओ को भोजन कराते है। और यदि कौआ भोजन ग्रहण ना करे तो माना जाता है की हमारे पितृ हमसे नाराज है।
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