• May 7, 2022

जानिए क्या है गुरु पूर्णिमा की सही पूजा विधि

जानिए क्या है गुरु पूर्णिमा की सही पूजा विधि

भारतीय संस्कृति में गुरू का स्थान बहुत ही अहम होता है। और गुरु सर्वोपरि होता है क्योकि एक गुरु ही जो किसी भी इंसान को ज्ञान शिक्षा से निखार कर एक अच्छा ,और गुणों से परिपूर्ण व्यक्ति तैयार करता है। गुरु ही हमारेजीवन का मार्गदर्शन करता है जिसके कारण हिन्दू धर्म में सम्पूर्ण भारत में गुरु पूर्णिमा को बहुत ही श्रद्धा-भाव से मनाया जाता है। हिंदी पंचांग में चौथा माह आषाढ़, जिसके पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इसी दिन महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था। महर्षि वेद व्यास जी को प्रथम गुरु की भी उपाधि दी जाती है क्योंकि गुरु व्यास ने ही पहली बार मानव जाति को चारों वेदों का ज्ञान दिया था। जिसके कारण महर्षि वेद व्यास जी के जन्मदिन के दिन को गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व के रूप में मनाया जाता है। इसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। आज हम जानेंगे गुरु पूर्णिमा का महत्व क्या है और गुरु पूर्णिमा की पूजा-विधि क्या है

– कब और कैसे मनाई जाती है गुरु पूर्णिमा:-

वैसे तो हिन्दू धर्म में प्रत्येक पूर्णिमा का अपना एक महत्व होता है और पुण्य फलदायी होती है लेकिन हिंदी पंचांग में चौथा माहआषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन गुरुओं के सम्मान में गुरु पूर्णिमा का पर्व श्रद्धा भाव के साथ धूम- धाम से मनाया जाता है। कई स्थानों पर धार्मिक स्थानों मंदिरो पर इस दिन पूजा भजन- संध्या , जागरण जैसे कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। क्योकि भारतीय सभ्यता में गुरु के स्थान को सबसे ऊपर रखा गया है।

ऐसे करे गुरु पूर्णिमा की पूजा :-

-सुबह जल्दी ही उठकर घर की साफ़ – सफाई करके स्नान करके साफ़ स्वच्छ वस्त्र पहने और पूजा की तैयारी करे
-पूजा करने के लिए किसी साफ सुथरे जगह पर सफेद वस्त्र बिछाकर उसपर व्यास-पीठ का निर्माण करें। गुरु की प्रतिमा स्थापित करने के बाद धूपबत्ती जलाये और चंदन, रोली, फूल फल और प्रसाद आदि चढ़ाए ।
-इसके बाद व्यासजी, शुक्रदेवजी, शंकराचार्यजी आदि गुरुओं को याद करके उनका ध्यान करे ।
– इसके बाद गुरु मंत्र और ‘गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये’ मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।

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