• November 8, 2023

आई दिवाली, बढ़ी चाको की रफ्तार, मिट्टी के दीए बनाने में जुटे कुम्हार

आई दिवाली, बढ़ी चाको की रफ्तार, मिट्टी के दीए बनाने में जुटे कुम्हार

बस्सी /साभरिया दीपावली जैसे-जैसे नजदीक आ रही है कुम्हारों की चाक तेजी से घुमने लगी है। कोशिश और परंपरा को जीवित रखने में इनका योगदान हमेशा सराहनीय रहा है।कभी दीए बनाने में तो कभी बच्चे के लिये गुल्लक, मिट्टी के बर्तन, रोशनी के पर्व को लेकर कुम्हारों समाज इन दिनों बड़ी तन्मयता और मेहनत हमारे घरों में रोशनी कराने वाले दीप को बनाने में लगे है पर कड़ी मेहनत के बाद भी आज इनका व्यवसाय तो बरकार है मगर हम और आप बदलती जीवन शैली के साथ अपनी परंपरा, सभ्यता को दरकिनार कर आधुनिकता दामन पकड़ कर इस सामाजिक परंपरा दूर होते जा रहे है। आज आसानी से बाजार में चाइनीज समान उपलब्ध हो रही है चाइनीज लाइट बल्ब, खिलौने कम खर्च में तरह-तरह के बल्ब बाजार में मिलने लोग मिट्टी के दीए से दूर हो होते जा रहे हैं। इसने कुम्हारों की जिंदगी में नई मुश्किल खड़ा कर दी है।

दीये की हर जगह डिमांड में भारी गिरावट आई है

प्रजापति समाज पदाधिकारी मनोज प्रजापत ने बताया कि चाइनीज लाइट आने से प्रजापति समाज के लोगों का खर्चा चलाने में मुश्किल हो गई है ।क्यो की आज बाजार में चाइनीज लाइए आसानी से कम दाम में मिल जाती है जिस कारण मिटी की दिए में कभी गिरावट आई है पिछले दो वर्षों से आकड़े बताते है कि बस्सी क्षेत्र में जहाँ मिटी दियो में बिक्री में काफी गिरावट आई है जिसके चलते आज कुम्हार जाती के लोग अपने परम्परिक पेसे में तंगी झेलने की बेबस है रौशनी का त्योहार दीपावली नजदीक है आपके घरों में रोशनी करने के लिये कुम्हार दिन रात एक कर मिट्टी की दीपक बनाने में जुटे हुए है ।

दीपावली नजदीक आते ही प्रजापति समाज के लोग दिये बनाने लगे है

प्रजापति समाज के लोगों बताया है कि दीपक बनाने की तैयारी एक माह पूर्व करते है हालांकि नए दौर में चीन के बने रेडीमेड दियो ने रोजगार कम कर दिया है ।दिए का प्रचलन अब सिर्फ शगुन के लिये रह गया है इसके चलते जरूरत मुताबिक ही बनाये जा रहे है गांव से लाते है मिट्टी ।कड़ी मेहनत के बाद तैयार चाक की रफ्तार पर तैयार होने वाले दीपो को बनाने में कड़ी मेहनत होती है ।मिट्टी को छानने उसे तपाने और बनाने से लेकर सुखाने में चार दिन लग जाते हैं।

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