• November 28, 2023

चीन में फैले नए वायरस और कोरोना के लक्षण कितने अलग? नई महामारी की आहट से क्यों डरी दुनिया

चीन में फैले नए वायरस और कोरोना के लक्षण कितने अलग? नई महामारी की आहट से क्यों डरी दुनिया

चीन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को स्पष्टिकरण जारी किया कि देश भर में सांस की बीमारियों में आई अचानक वृद्धि के पीछे कोई नया वायरस नहीं है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा चीन में ‘बच्चों में निमोनिया’ के बढ़ते संक्रमण की रिपोर्ट पर चिंता जताए जाने के बाद बीजिंग की ओर से यह बयान आया है. अब सवाल यह उठता है कि यदि कोई नया वायरस नहीं है, तो उत्तरी चीन में सांस से संबंधित बीमारियों में अचानक आई वृद्धि का कारण क्या है?

चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के प्रवक्ता ने रविवार को कहा कि फ्लू और अन्य ज्ञात रोगजनकों के कारण देश में सांस संबंधी बीमारियों में तेजी आई है. उन्होंने कहा कि सांस की बीमारियों के लिए सामान्य वायरस जैसे इन्फ्लूएंजा वायरस (H9N2), राइनोवायरस, रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस या आरएसवी, एडेनोवायरस के साथ-साथ माइकोप्लाज्मा न्यूमोनिया जैसे बैक्टीरिया हैं. ये सभी लंग्स इंफेक्शन के लिए जिम्मेदार होते हैं.डब्ल्यूएचओ ने चीन के स्वास्थ्य मंत्रालय से देश में बढ़े रेस्पिरेटरी इंफेक्शन के मामलों से संबंधित डेटा मांगा था. चीन ने डेटा देते हुए कहा कि इसके पीछे किसी भी असामान्य या नए रोगजनक का पता नहीं चला है. चीन के अस्पतालों में अक्टूबर के बाद से बैक्टीरिया इंफेक्शन, आरएसवी, इन्फ्लूएंजा और सामान्य सर्दी-जुकाम की बीमारियों के कारण बच्चों के एडमिशन में बढ़ोतरी देखी गई है.

 

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीन से इस संबंध में और अधिक जानकारी देने का अनुरोध किया है. चीन फ्लू, RSV और SARS-CoV-2 जैसे वायरस के रुझानों पर बारीकी से नजर बनाए हुए है. इस बीच, विशेषज्ञों ने का कहना है कि इस बात के पर्याप्त संकेत नहीं मिलते कि चीन में सांस संबंधी बीमारियों के मरीजों में वृद्धि किसी नए वायरस के संक्रमण के कारण है. चीन ने सर्दियों के आगमन के साथ सांस की बीमारी में बढ़ोतरी को पिछले साल दिसंबर में हटाए गए सख्त कोरोना प्रतिबंधों से भी जोड़ा है.

चीन में फैले संक्रमण पर विशेषज्ञों की राय क्या है?

कई विशेषज्ञों ने कहा कि सर्दियों का आगमन, कोविड ​​​​प्रतिबंधों की समाप्ति और बच्चों में इम्युनिटी की कमी बढ़ते संक्रमण के लिए जिम्मेदार हो सकती है. ऐसी आशंका थी कि लंबे समय तक कोविड लॉकडाउन के कारण, चीन के निवासियों में वायरस के खिलाफ नेचुरल इम्युनिटी विकसित नहीं हुई होगी. यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के प्रोफेसर फ्रेंकोइस बैलौक्स ने कहा, ‘चूंकि चीन ने किसी भी अन्य देश की तुलना में कहीं अधिक लंबा और कठोर लॉकडाउन लागू किया था, इसलिए यह अनुमान लगाया गया था कि इसमें ढील के बाद चीन में लोगों को ऐसी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.’ ऑस्ट्रेलिया के डीकिन विश्वविद्यालय की प्रोफेसर कैथरीन बेनेट ने बताया कि चीन में सख्त कोविड प्रतिबंधों के कारण स्कूल भी काफी समय तक बंद रहे थे. ऐसे में छोटे बच्चे सामान्य रोगजनकों के संपर्क में नहीं आए होंगे, इसलिए उनमें नेचुरल इम्युनिटी का स्तर कम होगा.

क्या यह एक नई महामारी के आने का संकेत है?

चीन में जैसे ही सांस की बीमारियों के बढ़ते संक्रमण से जुड़ी न्यूज रिपोर्ट्स सामने आईं, कोरोनाकाल की यादें ताजा हो गईं. ब्रिटेन के ईस्ट एंग्लिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पॉल हंटर ने कहा, ‘यह मुझे किसी नए वायरस के कारण फैली महामारी की तरह नहीं लगता है. अगर ऐसा होता, तो मैं वयस्कों में कई और संक्रमण देखने की उम्मीद करता. वयस्कों में रिपोर्ट किए गए कुछ संक्रमण इस बात की ओर संकेत करते हैं कि वह पहले इस संक्रमण की चपेट में आए थे और इस कारण उनके अंदर नेचुरल इम्युनिटी मौजूद है’.

SARS और COVID निमोनिया के रूप में फैले थे

नए फ्लू स्ट्रेन या महामारी फैलाने में सक्षम अन्य वायरस का जन्म आम तौर पर सांस संबंधी बीमारी के लिए जिम्मेदार अज्ञात वायरस समूहों से शुरू होता है. SARS और COVID-19 दोनों को सबसे पहले असामान्य प्रकार के निमोनिया के रूप में रिपोर्ट किया गया था. डब्ल्यूएचओ ने कहा कि बच्चों में सांस की बीमारी के इन रिपोर्ट किए गए मामलों के जोखिम का सही आकलन करने के लिए फिलहाल बहुत कम जानकारी उपलब्ध है. बता दें कि चीन और डब्ल्यूएचओ दोनों पर COVID-19 महामारी को लेकर अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में पारदर्शिता की कमी बरतने का आरोप लगाया गया है, जो दिसंबर 2019 में चीन के वुहान शहर से शुरू हुई थी

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