- May 24, 2022
‘कुतुब मीनार एक स्मारक, यहां किसी भी धर्म को पूजा-पाठ की इजाजत नहीं’, ASI का हलफनामा
नई दिल्ली। कुतुब मीनार (Qutub Minar) में पूजा की मांग को लेकर दायर हिंदू पक्ष की याचिका का आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) ने विरोध किया है. ASI ने साकेत कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में कहा है कि कुतुब मीनार (Qutub Minar) की पहचान बदली नहीं जा सकती. एएसआई ने कहा है कि ये पुरातात्विक महत्व का स्मारक है. लिहाजा यहां किसी को पूजा पाठ करने की इजाजत नहीं दी जा सकती. पुरातात्विक संरक्षण अधिनियम 1958 के मुताबिक, संरक्षित स्मारक में सिर्फ पर्यटन की इजाजत है. किसी भी धर्म के पूजा पाठ को नहीं. ASI ने कहा, जब ये कुतुब मीनार परिसर एएसआई के संरक्षण में आया है तब भी वहां किसी भी धर्म के मतावलंबी कोई उपासना या पूजा पाठ नहीं कर रहे थे.
आज दिल्ली की दक्षिण जिला कोर्ट साकेत कोर्ट में महरौली में कुतुब मीनार (Qutub Minar) परिसर के अंदर हिंदू और जैन देवी-देवताओं की बहाली और पूजा के अधिकार की मांग वाली याचिका पर सुनवाई होनी है. याचिकाकर्ता की तरफ से दावा किया गया है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा प्रदर्शित एक संक्षिप्त इतिहास बताता है कि मोहम्मद गौरी (Mohammad Ghori) की सेना के कमांडर कुतुबदीन ऐबक द्वारा 27 मंदिरों को धवस्त कर दिया गया था और कुव्वत-उल-इस्लाम को परिसर के अंदर खड़ा कर दिया था.
ये दावा भी किया गया है कि कुतुब मीनार (Qutub Minar) परिसर में हिंदू देवताओं और गणेश, विष्णु और यक्ष समेत देवताओं की स्पष्ट तस्वीरें और मंदिर के कुओं के साथ कलश और पवित्र कमल जैसे कई प्रतिक हैं, जो इस इमारत के हिंदू मूल को दर्शाते हैं. याचिकाकर्ता की ओर से ये भी कहा गया है कि यहां ध्रुव, मेरुध्वज के परिसर के अंदर भगवान विष्णु और भगवान ऋषभ देव, भगवान शिव, भगवान गणेश, भगवान सूर्य और देवी गौरी और जैन तीर्थकारों के अलावा नक्षत्रों के साथ विशाल और ऊंचे हिंदू और जैन मंदिर मौजूद थे. मेरु टॉवर को अब कुतुब मीनार, कुतुब टॉवर कहा जाता है. ASI ने अपने हालफनामे मे कहा हैं की ये एक स्मारक हैं, यहां किसी को पूजा की इजाजत नहीं हैं
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