• October 22, 2023

Rajasthan Elections: वसुंधरा राजे का दबदबा बरकरार? BJP की दूसरी लिस्ट के इन पांच पहलुओं से समझिए सियासी गणित

Rajasthan Elections: वसुंधरा राजे का दबदबा बरकरार? BJP की दूसरी लिस्ट के इन पांच पहलुओं से समझिए सियासी गणित

भाजपा ने राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 के लिए 83 और उम्मीदवारों की अपनी दूसरी लिस्ट जारी कर दी है। वसुंधरा राजे की उम्मीदवारी को लेकर चल रही अटकलों को खत्म करते हुए उन्हें झालरापाटन सीट से मैदान में उतारा गया है। भाजपा पहली लिस्ट में 41 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की थी। जहां एक राज्यसभा सदस्य सहित सात सांसदों को शामिल किया गया था। भाजपा ने उम्मीदवारों की घोषणा करने के मामले में कांग्रेस से एक कदम आगे रही है। कांग्रेस ने भी 33 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है जिसमें अशोक गहलोत, सचिन पायलट और दूसरे बड़े नेताओं के नाम शामिल हैं। राजस्थान भाजपा की दोनों लिस्ट से जुड़े पांच अहम पहलुओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

वसुंधरा राजे का नाम और दबदबा
जब भाजपा ने पहली लिस्ट जारी की और उसमें वसुंधरा राजे का नाम नहीं दिखाई दिया तो अटकलें शुरू हुई कि पार्टी ने उन्हें पूरी तरह दरकिनार कर दिया है। हालांकि अटकलों के लंबे दौर को खत्म करते हुए बीजेपी ने उन्हें झालरापाटन से मैदान में उतारा दिया है। माना जा रहा है कि कि उनकी सीट का नहीं बदला जाना दिखाता है कि पार्टी के भीतर उनका दबदबा बरकरार है। झालरपाटन से वसुंधरा राजे ने 2018 के विधानसभा चुनाव में लगातार पांचवीं बार जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार मानवेंद्र सिंह को हराकर 34,890 वोटों से जीत हासिल की थी।

राजेन्द्र राठौड़ की सीट का बदला जाना
राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के नेता (LoP) राजेंद्र सिंह राठौड़ का नाम भी लिस्ट में दिखाई दिया लेकिन उनकी अपनी सीट से नहीं। वर्तमान में चूरू से विधायक राठौड़ को अब तारानगर निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतारा जा रहा है। उन्होंने इससे पहले तारानगर का केवल एक बार प्रतिनिधित्व किया है। राजेंद्र सिंह राठौड़ ने इससे पहले चूरू से लगातार तीन बार जीत हासिल की थी। कुल मिलाकर उन्होंने पांच बार चूरू का प्रतिनिधित्व किया है। राजेंद्र सिंह राठौड़ की सीट बदले जाने के बाद भी कई तरह की चर्चाएं शुरू हुई हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा 7 सांसदों को टिकट दिये जाने के बाद इस तरह के प्रयोग किए हैं।

दीया कुमारी का रास्ता साफ
राजसमंद की सांसद दीया कुमारी भी इस चुनाव में काफी चर्चा में हैं। वह उन सात सांसदों में से एक हैं जिन्हें इस बार विधानसभा चुनाव के मैदान में उतारा गया है। उन्हें जयपुर के विद्याधर नगर निर्वाचन क्षेत्र से लड़ने के लिए कहा गया है। इस सीट पर वर्तमान में नरपत सिंह राजवी का कब्जा है, जिन्हें एक वसुंधरा राजे वफादार माना जाता है। वह भैरों सिंह जी शेखावत के दामाद भी हैं, जिन्होंने वसुंधरा राजे को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बताया जाता है कि राजवी अपनी सीट छोड़ने से नाखुश थे, अब उन्हें चितोड़गढ़ से मैदान में उतारा गया है और कहा जा रहा है कि वह पार्टी के इस फैसले से संतुष्ट हैं।

दिलचस्प होगी नागौर की लड़ाई, जाट वोटों को साधने का प्रयास
पूर्व कांग्रेस सांसद ज्योति मिर्धा (इस सितंबर में भाजपा शामिल हुई) को नागौर से मैदान में उतारा जा रहा है। पूर्व सांसद क्षेत्र के दो प्रभावशाली मिर्धा कुलों में से एक से हैं। वह जाट समुदाय से हैं, एक ऐसा वर्ग जो 2016 में हरियाणा में जाट दंगों और हाल ही में तीन कृषि कानूनों के बाद से भाजपा से निराश सा हो गया है। भाजपा को ज्योति मिर्धा के जरिए क्षेत्र में जाट वोटों तक पहुंचने की उम्मीद है। उनके मैदान में आने के बाद अब नागौर विधानसभा चुनाव की लड़ाई काफी दिलचस्प दिखाई दे रही है।

महिलाओं की संख्या
भाजपा ने 83 नामों में से 10 महिलाओं को मैदान में उतारा है। यहां तक कि 41 नामों की अपनी पहली सूची में भी बीजेपी ने चार महिलाओं को मैदान में उतारा था। चर्चा है कि प्रातिनिधित्व के लिहाज से यह संख्या कम है। लेकिन भाजपा ने इस संख्या को लोकसभा चुनाव में बढ़ाने की बात कही है। इस लिस्ट में एक अहम पहलू कुछ मौजूदा विधायकों के टिकट काटे जाने से भी जुड़ा है।

नरपत सिंह राजवी भले ही चित्तौड़गढ़ सीट से संतुष्ट हो गए हों, लेकिन यहां के मौजूदा विधायक चंद्रभान सिंह को अभी तक सीट नहीं मिली है। 2018 में उन्होंने कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह जाड़ावत को 23 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। सांगानेर के मौजूदा विधायक अशोक लाहोटी का भी टिकट काटा गया है जिन्होंने 2018 में कांग्रेस के पुष्पेंद्र भारद्वाज को 34,000 से अधिक वोटों से हराया था।

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