- May 30, 2022
इस राइफल से हुई सिद्धू मूसेवाला की हत्या, इसकी फायर पावर जानकर रह जाएंगे हैरान
नई दिल्ली। पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला अब हमारे बीच नहीं रहे. सिद्धू की मौत से पूरा देश हैरान है. उनके फैंस के बीच मातम पसरा है. सिद्धू मूसेवाला महज 28 साल के थे, इतनी कम उम्र में दिनदहाड़े गोली मारकर उनकी निर्मम हत्या कर दी गई. सिद्धू मूसेवाला (Sidhu Moose Wala) की गाड़ी पर 30 से ज्यादा राउंड फायर किए गए हैं. कुछ सेकेंड्स में इतनी गोलियां दागने के लिए किसी को भी एक ऑटोमैटिक असॉल्ट राइफल चाहिए. सिद्धू मूसेवाला (Sidhu Moose Wala को मारने के लिए जिस बंदूक का नाम आ रहा है, वो एएन-94 (AN-94) है. इस राइफल को रूस ने AK-47 की जगह उपयोग करने के लिए बनाया था. लेकिन फिलहाल ये ज्यादा देशों में उपयोग नहीं हो रही है. एएन-94 (AN-94) असॉल्ट राइफल में एएन (AN) का फुल फॉर्म है एवतोमैत निकोनोव (Avtomat Nikonova) है. इसकी डिजाइनिंग 1980 से शुरु की गई थी जो 1994 में पूरी हुई थी. इसे चीफ डिजाइनर गेनाडी निकोनोव (Gennadiy Nikonov) ने बनाया है. इन्होंने ही पहले निकोनोव मशीन गन (Nikonov Machine Gun) बनाई थी. यह असॉल्ट राइफल 1997 से लगातार रूस के सैन्य बलों में सेवा दे रही है.
आपकी जानकारी के लिए बता दे की एएन-94 (AN-94) असॉल्ट राइफल का वजन 3.85 किलोग्राम है. स्टॉक यानी बट के साथ इसकी लंबाई 37.1 इंच और बगैर स्टॉक के 28.7 इंच होती है. इसके बैरल यानी नली की लंबाई 15.9 इंच है. इसमें 5.45×39 mm की गोलियां लगती हैं. सबसे खतरनाक बात ये है कि एएन-94 (AN-94) असॉल्ट राइफल दो शॉट बर्स्ट ऑपरेशन का ऑप्शन देती है. यानी एक के पीछे एक करके दो गोलियां तेजी से निकलती हैं. जिनके निकलने के समय में माइक्रोसेकेंड्स का अंतर होता है. यानी दुश्मन को एक साथ दो गोलियां लगती हैं. एएन-94 (AN-94) असॉल्ट राइफल से बर्स्ट मोड में 1800 गोलियां दागी जा सकती है. फुल ऑटोमैटिक मोड में हर मिनट 600 राउंड गोलियां निकलती हैं. गोलियों की गति 900 मीटर प्रति सेकेंड है. यानी सामने वाले को बचने का मौका बिल्कुल नहीं मिलता. (फोटोः विकिपीडिया)
एएन-94 (AN-94) असॉल्ट राइफल की फायरिंग रेंज (Firing Range) 700 मीटर है. इसमें 30 और 45 राउंड की बॉक्स मैगजीन या फिर 60 राउंड की कैस्केट मैगजीन लगती है. हैरानी की बात ये है कि अत्याधुनिक असॉल्ट राइफल होने के बावजूद भी इसे ज्यादा सैन्य बलों ने पसंद नहीं किया. क्योंकि इसकी डिजाइन बेहद जटिल है. यह AK-47 की तरह चलाने में आसान नहीं है. न ही आसानी से रिपयरेबल है. हर मौसम में एके-47 की तरह काम नहीं कर पाती. (फोटोः Disasm)
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