- December 17, 2021
Makar Sankranti 2022: जानिए क्यों मनाया जाता है मकर संक्रांति का पर्व, जानें प्राचीन मान्यता
लाइफस्टाइल। भारत देश को त्यौहार के देश का एक और त्यौहार है मकर संक्रांति. इस एक त्यौहार को देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नाम से मनाया जाता है. कहीं इसे मकर संक्रांति कहते हैं तो कहीं पोंगल, खिचड़ी , अलग अलग नामो से मनाया जाता है किन्तु इस त्यौहार को मनाने का कारण एक ही है। सूर्य की उपासना और दान. मकर संक्रांति होती है ज्योतिषी की मान्यताओं के अनुसार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना मकर-संक्रांति कहलाता है. सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना मकर-संक्रांति कहलाता है. संक्रांति की तिथि लगते ही सूर्य उत्तरायण हो जाता है.
माना जाता है कि मकर-संक्रांति से सूर्य के उत्तरायण होने पर देवताओं का सूर्योदय होता है और दैत्यों का सूर्यास्त होने पर उनकी रात्रि प्रारंभ हो जाती है. जिसके साथ ही मांगलिक कार्यक्रम भी प्रारम्भ हो जाते है। क्योकि इस दिन खरमास की समाप्ति भी होती है। आइये जानते है मकरसक्रांति कुछ मान्यताओ की कुछ विशेष बाते।
मकर सक्रांति का महत्व :-
प्राचीन मान्यता है कीइस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि से मिलने भगवान शनि के घर गए थे . न्याय के देवता शनिदेव जो की मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है. महाभारत काल से ये मान्यता जुडी है की इस भीष्म पितामह ने अपनी शरीर त्यागने के लिए मकर संक्रांति का ही दिन चुना था .और इसी दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं. मान्यता है की इस दिन दान करना अच्छा माना जाता है।
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