• September 16, 2022

जानिए कब मनाई जायेगी 2022 में दिवाली, जानिये पूजा का शुभ मुहर्त और पूजा विधि

जानिए कब मनाई जायेगी 2022 में दिवाली, जानिये पूजा का शुभ मुहर्त और पूजा विधि

इंटरनेट डेस्क। दिवाली हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा और विशेष त्यौहार है इस त्योहार को मनाने के पीछे पौराणिक मान्यता है की इस दिन भगवान श्री राम दशानन रावण का वध और 14 वर्ष का वनवास करके अयोध्या नगरी लौटे थे , और अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। तभी से दिवाली का ये पावन पर्व सम्पूर्ण भारत वर्ष में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है इस दिन रिद्धि सिद्धि की दाता भगवान गणेश और माँ लक्ष्मी एवं धन के देवता भगवान कुबेर की पूजा की जाती है। दिवाली का त्यौहार पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष के अमावस्या तिथि को मनाया जाता है , हम जानेंगे दिवाली 2022 में कब मनाई जाएगी और क्या है दिवाली की पूजा विधि आइए जानते है

दिवाली का शुभ मुहूर्त कब है?

इस वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि 24 और 25 अक्टूबर दोनों दिन रहेगी है। लेकिन 25 अक्टूबर को अमावस्या तिथि प्रदोष काल से पहले ही समाप्त हो रही है। वहीं 24 अक्टूबर को प्रदोष काल में अमावस्या तिथि होगी। 24 अक्टूबर को निशित काल में भी अमावस्या तिथि होगी। इसलिए इस साल 2022 में 24 अक्टूबर को दीवाली का पर्व मनाया जाएगा। .

दिवाली पूजा विधि :-

दिवाली के पूजन शाम को शुभ मुहर्त अनुसार पूजा की जाती है , दिवाली पर विशेषतौर पर विघ्नहर्ता गणेश और धन की देवी माँ , एव धन के देवता भगवान कुबेर की लक्ष्मी की विधिवत पूजा की जाती है , पहले एक जल का कलश ले और उस पर कुमकुम का तिलक लगाये । इसके बाद अपने हाथ में फूल और चावल लेकर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश का ध्यान करें। और भगवान श्री गणेश और मां लक्ष्मी की प्रतिमा पर फूल और अक्षत चढ़ाये थाली में रखें और दूध, दही, शहद, तुलसी और गंगाजल के मिश्रण से स्नान कराएं और इसके बाद स्वच्छ जल से स्नान करके एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उसपर विराजित करे । इसके बाद माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा को तिलक लगाएं। माता लक्ष्मी और गणेश जी को फूलो का हार पहनाएं। एकाक्षी नारियल या 11 कमलगट्टे पूजा स्थल पर रखें ,इसके बाद पैसे और सोने के आभूषण अपने व्यवसाय के औजार पूजा स्थान चौकी के पास रखें। इस विशेष तोर पर मीठे चावल का भोग लगाया जाता है इसके साथ गन्ने ,श्रीफल , खील , बताशे , अन्य फलो , मिठाई का भोग लगाया जाता है। और फिर माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की आरती करे।

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